पूज्य बाबू जी महाराज ने 15 साल की छोटी सी उम्र में ही अपने गुरूदेव, परम पूज्य लाला जी महाराज की आध्यात्मिक शिक्षाओं को आत्मसात कर लिया था। और नौकरी के दौरान जहां भी रहे बहुत से लोग आपके मुरीद बन गये। जब आपकी नियुक्ति गाजीपुर और दिलदार नगर में थी तब वाराणसी, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से काफी लोग आपके पास आने लगे। आप इन सभी जगहों पर वर्ष में एक बार सत्संग के लिए जरूर जाते थे। समय के साथ, लोगो की सुविधा के लिए आपने कई क्षेत्रीय शाखाओं की स्थापना की।
परम पूज्य बाबू जी महाराज के समय से ही सत्संगियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई। इस बात को ध्यान में रखते हुये और सत्संग गतिविधियों के व्यवस्थित रूप से आयोजन के लिये सत्संग परिवार के कुछ लोगो को समन्वयक के रूप में नियुक्त किया गया है। ये लोग अपनी शाखा के अध्यक्ष की देख रेख और पूज्य डा वी के सक्सेना के पूर्ण मार्गदर्शन में सत्संग के आयोजन का कार्य करेंगे। यह व्यवस्था अक्टूबर, 2006 से पूज्य डा वी के सक्सेना (छोटे भइया जी, दिन्नू भाई साहब), जो कि श्री रामाश्रम सत्संग, गाजियाबाद के वर्तमान अध्यक्ष है, के निर्देशानुसार प्रभाव में आयी। इन सभी लोगो को एक या ज्यादा इजाजत से बख्शा गया है, जो इस प्रकार है इजाजत वैत, इजाजत तालीम, इजाजत सत्संग। यह लोग इसी के अनुसार अपना कार्य करेंगे इन सबको यह शख्त निर्देश है कि वे लोग सत्संगियों की सेवक की भांति सेवा करें। इस व्यवस्था का मुख्य ध्येय यही है कि पूज्य बाबू जी महाराज के इच्छानुसार हर शाखा पर नियमित रूप से सत्संग होता रहे।
परम पूज्य बाबू जी महाराज ने 25 जून, 1963 को परम पूज्य लाला जी महाराज के आशीर्वाद के साथ इस शाखा का उद्धाटन किया और वार्षिक भंडारा की शुरूआत की जिसमें हर वर्ष आपके शिष्य एकत्रित होते हैं। आप सेवानिवृत्ति के बाद यहीं पर स्थाई रूप से रहने लगे। बाद में आपने भंडारे की तिथि बदल कर दशहरा और दीवाली के बीच में कर दी क्यों कि इस समय सबकी छुट्टियां होती थी। सत्संगी भाइयों की सहूलियत के लिये वार्षिक भंडारा गाजियाबाद अब दशहरे की छुट्टियों में होता है। शुरूआत में सत्संगियों की संख्या बहुत अधिक न थी इसलिये भंडारे का आयोजन आपके निवास स्थान 7, रामा कृष्णा कालोनी , गाजियाबाद में ही होता था। लेकिन अब क्योंकि सत्संगियों की संख्या काफी बढ गयी है, इसलिये अब भंडारा समाधि मंदिर, जी टी रोड, नागर दूध डेरी के पास, ग्राम विशनोई में होता है जिसका निर्माण इस उद्देश्य हेतु ही किया गया था। पूज्य बाबू जी महाराज के आशीर्वाद से समाधि मंदिर में भंडारे की शुरूआत सन् 2000-2001 में हुई और हमारे सत्संग का मुख्य केन्द्र भी यही है।
लखनऊ के केंद्रस्थ होने के कारण परम पूज्य बाबू जी महाराज इस बात पर जोर देते थे कि सभी भंडारों में यहां का भंडारा सबसे मजबूत होगा। आपके ही आशीर्वाद से सन 1977 में आपके जन्म दिन 1 जनवरी के अवसर पर एक दिवसीय भंडारा और परम पूज्य लाला जी महाराज के जन्म दिन के अवसर पर एक दिवसीय भंडारे की शुरूआत एफ-1/बी, रिवर बैंक कालोनी में हुई। सन 1991 से साप्ताहिक सत्संग और भंडारा बी-1/26, सेक्टर ‘के’, अलीगंज, लखनऊ, जो कि डा वी के सक्सेना (छोटे भइया जी) का निवास स्थान है, में होने लगा। सत्संगी भाइयों की बढ़ती संख्या के कारण सत्संग के आयोजन के लिये एक अलग स्थान का होना जरूरी मालूम होने लगा। पूज्य ताऊ जी महाराज की कृपा (पूज्य बड़े भइया जी और पूज्य छोटे भइया जी के गुरूदेव) और पूज्य बाबू जी के आशीर्वाद से एक आश्रम का निर्माण ग्राम चकगंजा गिरी, रैथा रोड, सीतापुर रोड, लखनऊ में किया गया और इस आश्रम का नाम ‘देवस्थली आश्रम’ रखा गया। अब यहां पर पूज्य बाबू जी महाराज के जन्म दिन के अवसर पर चार दिवसीय भंडारा का आयोजन 29,30,31 दिसंबर और 1 जनवरी को होता है। इसके अतिरिक्त एक दिवसीय भंडारा 18 मई (परम पूज्य ताऊ जी महाराज का निर्वाण दिवस), गुरू पूर्णिमा और 15 अक्टूबर (परम पूज्य ताऊ जी महाराज का जन्म दिन) को होता है।
वराणसी परम पूज्य बाबू जी महाराज द्वारा स्थापित सबसे पुरानी शाखा है। इस शाखा की स्थापना आपने अपने अनन्य प्रेमी शिष्य श्री ठाकुर शिव नरेश सिंह जी के कहने पर सन् 1953 में की थी। आप, जो कि एक रेल कर्मचारी थे, उस समय वाराणसी स्टेशन के पास रेलवे क्वार्टर एल/27 ए में रहते थे। सेवानिवृत्ति के बाद आप अपने जन्म स्थान में रहने लगे और आपका क्वार्टर पूज्य बाबू जी महाराज के एक और प्रेमी शिष्य श्री नन्द सिंह को मिल गया। बाद में जगह की कमी के कारण पूज्य बाबू जी महाराज के एक अन्य शिष्य ठाकुर रधुराज सिंह जी ने सत्संग के लिए कुछ जगह दान की जो कि सारंग तालाब, पंच कोसी रोड, वाराणसी -7 में स्थित है। अब भंडारा और साप्ताहिक सत्संग इसी स्थान पर होता है।
इस शाखा की स्थापना सन् 1957 में हुई थी जहां पर पूज्य बाबू जी महाराज के समर्पित शिष्य श्री जगदीश प्रसाद गुप्ता जी निवास करते है। गाजियाबाद से करीब होने के कारण हापुड़ के सभी समर्पित सत्संगी भाई पूज्य बाबू जी महाराज से हर सप्ताहंत मिलने आते थे। सन 1963 से यहां पर एक दिवसीय वार्षिक भंडारा होता है।
इस शाखा की स्थापना सन 1976 में बिहार में डा जे पी कर्ण के निवास स्थान पर हुई। वर्तमान में वार्षिक भंडारा पटना का आयोजन श्री एम एल दास, जो डा जे पी कर्ण के दामाद है, के निवास स्थान के ऊपरी मंजिल पर सत्संग हाल में होता है। समस्तीपुर, उजियारपुर, दरभंगा, देवघर, गया, मुंगेर और भी अन्य दूरस्थ स्थानों से लोग यहां पर सत्संग के लिये एकत्रित होते है। यहां पर वार्षिक, मासिक एवं साप्ताहिक सत्संग होता है।
गोरखपुर जिले के इस छोटे से गांव में सन 1977 में परम पूज्य बाबू जी महाराज के आगमन पर उनकी दया हुई। इस सतपुरूष ने गांव के सीधे सरल, गरीब, शिक्षित, अशिक्षित सब पर अपना प्रभाव छोड़ा। भंडारे की स्थापना स्वर्गीय श्री राजेन्द्र मणी त्रिपाठी जी के निवास स्थान, ग्राम फरदहनी में हुई। आप के देहांत के बाद आपके पुत्र श्री कृष्ण बिहारी मणी त्रिपाठी ने यहां पर सत्संग का उत्तरदायित्व निभाया।
परम पूज्य बाबू जी महाराज के समर्पित शिष्य ठाकुर शिव नरेश सिंह जी सेवानिवृत्ति के बाद अपने गांव शिवपुर दियर, जो कि बलिया शहर से लगभग 6 मील की दूरी पर है, वहां रहने लगे। बलिया जिला उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर स्थित है और गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है। ठाकुर शिव नरेश सिंह जी की इच्छा थी कि उनके निवास स्थान पर भी एक शाखा की स्थापना हो। हांलाकि आपके जीवन काल में यह इच्छा फलीभूत नही हुई, लेकिन आपके देहांत के तुरन्त बाद पूज्य बाबू जी महाराज ने अपने द्वितीय पुत्र डा वी के सक्सेना को उनके घर तेरही के अवसर पर भेजा। डा वी के सक्सेना एवं अन्य सत्संगी भाइयों ने उस वक्त सत्संग में फैज और अद्भुत आनंद का अनुभव किया। आज के समय में वहां नियमित रूंप से साप्ताहिक सत्संग हो रहा है।
इस शाखा की स्थापना परम पूज्य बाबू जी महाराज ने सन 1985 में की। एक बार जब पूज्य बाबूजी की नियुक्ति यहां पर थी तब परमपूज्य लाला जी महाराज आपके घर पर आये थे उस समय परम पूज्य लाला जी महाराज बहुत उच्च और जागृत अवस्था में थे और फैज की बारिश कर रहे थे। ऐसी अवस्था में ही ये महान संत मनुष्य को अपनी कृपाधार से परमात्मा तक पहुचा देते है। कुछ ऐसी ही अवस्था आपकी थी जब आप दिलदार नगर आये थे। आपने फरमाया ‘‘अभी यहां कोई भी इस विद्या का अधिकारी दिखाई नही देता, मगर क्योकि तुम इस वक्त यहां पर हो, ये व्यर्थ नही जानी चाहिए। मै नाम का असर जमीन में भर दे रहा हूं और आशा करता हूँ कि एक दिन इस परमार्थिक विद्या का बीज तुम्हारे हाथों फले फूलेगा।’’
आपकी भविष्यवाणी सत्य हुई यहां पर एक मजबूत शाखा स्थापित है और मासिक सत्संग और दो दिवसीय वार्षिक भण्डारे का आयोजन यहां पर होता है। परम पूज्य बाबू जी महाराज को अपने पूज्य गुरूदेव की कही हुई हर बात पर पूर्ण विश्वास था। जब आप सन् 1981 में सख्त बीमार थे तब आप इंतजार करते थे कि कोई दिलदार नगर से आयेगा उस सख्त बीमारी के बाद जब आप स्वस्थ हुये तो आपने पहला वाक्य अपने बेटे डा आर के सक्सेना और डा वी के सक्सेना से ये कहा की ‘‘ आपकी जिन्दगी पूज्य लाला जी महाराज के कार्य को पूरा करने के लिए कुछ और बढ़ गयी है।’’ ऐसा सच्चा प्रेम, आदर, समर्पण आपका अपने इष्ट के लिए था। आपने एक योग्य व्यक्ति डा एस एन राय, जो दिलदार नगर के रहने वाले है, को नियुक्त किया और उन्ही के निवास स्थान पर ही नियमित रूप से भण्डारे का आयोजन होता है।
बराबंकी लखनऊ के पास ही एक जिला है। इस शाखा की स्थापना पूज्य बाबू जी महाराज के निर्वाण के बाद सन 1991 में श्री ओ पी सिंह के निवास स्थान पर हुई। पूज्य बाबू जी महाराज इस घर में सन् 1975 में आये थे जब आप अपने पुत्र डा वी के सक्सेना के साथ गोंडा से लखनऊ जो रहे थे। इस सफर के दौरान श्री ओ पी सिंह जी के निवेदन पर पूज्य बाबू जी आपके यहां 1 घण्टे के लिये रूके। उस थोडी देर के ठहराव में उन महान संत ने उस घर को आशीर्वाद से भर दिया और अब वहां पर एक दिवसीय वार्षिक भण्डार होता है।
परम पूज्य बाबूजी महाराज के निर्वाण के बाद इस शाखा की स्थापना हुई। यहां पर एक दिवसीय भण्डारे का आयोजन श्री उमा शंकर शुक्ला, एड्वोकेट, के निवास स्थान शाहपुर कोठी, सिविल लाइन्स, लखीमपुर खीरी, उत्तरप्रदेश या फिर निकट के किसी विद्यालय में होता है।
इस शाखा की स्थापना परम पूज्य बाबू जी महाराज के आशीर्वाद से श्री ओ पी कौशिक जी के कहने पर हुई। यहां पर दो दिन के वार्षिक भण्डारें का आयोजन होता है।
पूज्य बाबू जी की कृपा के फलस्वरूप आगरा, उत्तर प्रदेश शाखा मे एक दिवसीय सत्संग भण्डारें का आयोजन आपकी पुत्री श्रीमती कुसुम सक्सेना और आपके दामाद डा राजकुमार सक्सेना के निवास स्थान पर होता है।
उपरोक्त सभी जगह पर बुजुर्गो की दया से भण्डारा के साथ साथ नियमित रूप से सत्संग होता है। इलाहाबाद, ग्वालियर, समस्तीपुर, उजियारपुर, गाजीपुर, बक्सर, रांची, दरभंगा और भी कई अन्य स्थानों पर परम पूज्य बाबू जी महाराज के आशीर्वाद से नियमित सत्संग हो रहा है।