श्रीरामाश्रम सत्संग

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हमारे मार्गदर्शक : पूज्य डा वी के सक्सेना

वर्तमान आचार्य, श्री रामाश्रम सत्संग

V K Saxena Ji

डा वी के सक्सेना, जिनका प्रचलित श्रद्धेय नाम दिन्नू भाई साहब है, परम पूज्य बाबू जी महाराज के 1981 में की हुई घोषणा अनुरूप सत्संग के वर्तमान आचार्य हैं। पूज्य बाबू जी महाराज के दोनो योग्य उत्तराधिकारी, आपके दोनों ज्येष्ठ पुत्रों ने आपके इस आध्यात्मिक कार्य को बखूबी आगे बढ़ाया। पूज्य सेठ भाई साहब के निर्वाण प्राप्ति के पश्चात, डा वी के सक्सेना अपने गुरूदेव डा श्रीकृष्ण लाल भटनागर जी महाराज एवं अपने पूज्य पिता, जो आपके मुर्शिदे कामिल थे, के आशीर्वाद के साथ श्री रामाश्रम सत्संग का समस्त कार्यभार सम्भाला। आपको बहुत ही कम आयु में आपके पूज्य गुरूदेव द्वारा दीक्षा प्राप्त हुई जिन्होंने यह भविष्यवाणी की थी कि, “मेरे पास जो भी था मैने तुमको दे दिया है…अगर मेहनत करोगे तो यह विद्या आगे फ़ले फ़ूलेगी नहीं तो यह विद्या ज्यों की त्यों दबी रहेगी”। आपके गुरुदेव के यह शब्द पूर्ण रूप से सत्य साबित हुए और आप उसी के अनुसार अपने गुरूदेव के बताये हुए मार्ग पर कुशलता और एक स्पष्ट नजरिये के साथ अग्रसर हैं।

डा वी के सक्सेना परम पूज्य बाबू जी महाराज के द्वितीय पुत्र हैं। आपके दोनों ज्येष्ठ पुत्रों का जन्म स्वयं परम पूज्य लाला जी महाराज के आशीर्वाद से हुआ जब आप अपनी पुत्री कमला बहन के निधन के पश्चात बुलंदशहर तशरीफ़ लाये थे। यह आपकी पूज्य बाबू जी के निवास स्थान पर अंतिम भेंट थी। परम पूज्य लाला जी महाराज उस समय अपनी आध्यात्मिकता की उच्चतम अवस्था में थे और दीन और दुनिया दोनो लुटा रहे थे। आपने डा श्याम लाल सक्सेना जी की इच्छा का मान रखते हुए दयालुता से फ़रमाया कि “केवल एक क्यों, दो क्यों नहीं?”।

डा वी के सक्सेना का जन्म 23 अगस्त, 1932 में सिकन्दराबाद में परम पूज्य ताऊ जी महाराज (डा श्रीकृष्ण लाल जी महाराज) के पुश्तैनी मकान बड़े महल में हुआ था। जब आप मात्र एक साल के थे तब आपकी माता जी का निधन हो गया और आपकी परवरिश परम पूज्य ताई जी (ताऊ जी महाराज की धर्म पत्नी) ने की। प्रेम वश ताऊ जी महाराज ने आपकी माता जी, जो उस समय मृत्यु से लड़ रही थीं, को यह वचन दिया कि वे उनके तीनों बच्चों के दीन, दुनिया और परमार्थ का पूरा ध्यान रखेंगे और आपने इस वचन को पूर्णतः निभाया।

डा वी के सक्सेना की प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत सिकन्दराबाद में ही हुई। आपने हाई स्कूल प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया और उसके उपरान्त आगरा मेडिकल कॉलेज से एम बी बी एस की पढ़ाई पूरी की। यद्यपि आपकी इच्छा एम डी करने की थी परंतु पारिवारिक माली हालत अच्छी न होने के कारण आपने जनवरी, 1961 में पी एम एस सर्विस, उत्तर प्रदेश में कार्यभार ग्रहण किया। कुछ वर्षों बाद आपने अपनी इच्छानुसार के जी एम सी, लखनऊ से एम डी पूर्ण किया। आपने अपने चिकित्सकीय पेशे की शुरुआत मेरठ से की परंतु आपकी पोस्टिंग अधिकतर गोण्डा एवं लखनऊ में ही रही। आप लखीमपुर खीरी से चीफ मेडिकल सुपरिन्टेन्डेंट के पद से सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में आपका निवास स्थान बी 1/26, सेक्टर के, अलीगंज, लखनऊ है।

परमार्थ

डा सक्सेना का जन्म आपके गुरुदेव के घर पर ही हुआ। आपका पालन पोषण आध्यात्मिक वातावरण में हुआ तथा आपको ईश्वर नाम के सब साधन बचपन से ही सुलभ थे। इस प्रकार अत्यन्त कम आयु में भी आपके जीवन में परमार्थ का समावेश हो गया था। परम पूज्य बाबू जी महाराज ने अपने दोनो पुत्रों को सन 1981 में पूर्ण इजाजत प्रदान किया। हमारे वर्तमान आचार्य ने रामाश्रम सत्संग को नित नये क्षितिज की ओर अग्रसर किया है। परम पूज्य बाबू जी महाराज द्वारा स्थापित सभी शाखाओं को मजबूत और उनका पुनर्गठन किया गया। हर शाखा पर वहां के सत्संगी जन का समूह साप्ताहिक अथवा मासिक तौर पर सत्संग के लिये इकट्ठा होता है। नये स्थानीय शाखाएं पटना, समस्तीपुर, दरभंगा, हापुड़, मेरठ, जयपुर, आगरा, लखनऊ, बाराबंकी, लखीमपुर का उदघाटन हुआ। परम पूज्य बाबू जी महाराज के अधिकतर प्रवचन का संकलन “अनमोल संत वचन” नामक पुस्तक में किया गया। “वंश परिचय”, जो की परम पूज्य लाला जी महाराज एवं परम पूज्य चाचा जी महाराज से संबंधित सभी संतो की जन्म तिथि एवं अन्य विवरण, निर्वाण, श्राद्ध, समाधि स्थल का संग्रह है, का भी प्रकाशन हुआ जिससे की यह सब जानकारी सत्संगी भाइयों को एक ही जगह प्राप्त हो सके। आपने समाधि मन्दिर गाजियाबाद का भी निर्माण कराया, जिसकी शुरुआत परम पूज्य सेठ भाई साहब ने की थी। साथ ही आपने लखनऊ में देवस्थली आश्रम का भी निर्माण करवाया।